नगरोटा बगवां।
शरीर का निचला हिस्सा मलबे में दबे होने के कारण किसी से संपर्क कर सकने में भी वह सफल नहीं हो पाया। कमरे का दरवाजा तोड़ कर उसे मलबे से तब निकाला जा सका, जब नौ बजे के करीब स्कूल का स्टाफ पहुंचा, जिन्होंने दरवाजा तोडक़र उसे अस्पताल पहुंचाया, जो अब खतरे से बाहर है।
हादसे के निशान बताते हैं कि मलबे के साथ टूट के आई कमरे की दीवार ही विजय कुमार के लिए सुरक्षा कवच बनी, अन्यथा सारा मलबा उसके ऊपर आ सकता था। अध्यापकों का कहना है कि स्कूल का सारा रिकार्ड मलबे में दफन हो चुका है तथा भवन पर मंडरा रहे खतरे के बीच कक्षाएं चलाना मुश्किल हो रहा है, जो उनकी मजबूरी है। उन्होंने सारे स्कूल को ही असुरक्षित बताया तथा अपना डर आज दिव्य हिमाचल से साझा करते हुए यह शुक्र मनाया की हादसा स्कूल टाइम में नहीं हुआ।